वो दिन!

वो दिन थे मस्ती भरे, वो राते मज़्ज़ेदार थी।

स्कूल की वो छुट्टी जब नींद आती ज़ोरदार थी।

शाम का इंतज़ार ये नज़रें करती हरबार थी।

दोस्तों के साथ वो मस्ती, वो ख़ुशी

चिंता करने के लिए कोई होती नही बात थी।

छत्त पर बैठकर ठंडी हवा को महसूस करना,

घंटो तक बादलों में चेहरे बनाते रहना।

वो फ्रिज की लाइट बंद होने तक देखने की कोशिश,

आँखों में मासूम सवालो की कशिश।

वो दिन थे यादगार जब दादी की कहानियां दुनिया थी मेरी,

जब विडियो गेम से ज़्यादा मज़ा आता था तोड़ने में कच्ची केरी।

ज़िन्दगी आगे बढ़ चली, बीत गए वो लम्हे,

अब तो बस ज़िन्दगी की उलझनों को सुलझाते हम हैं।

उन दिनों का एहसास आँखों में याद बनकर रह गया है,

अब तो मेरा भी बचपन इतिहास बनकर रह गया है।

23 thoughts on “वो दिन!

  1. उन दिनों का एहसास आँखों में याद बनकर रह गया है,
    अब तो मेरा भी बचपन इतिहास बनकर रह गया है
    भावुक कर दिया आपने 😊

    Like

Leave a comment