चाहत!!

रूह की आवाज़ में एक चाहत है,
मैं ये चाहत सुनना चाहती हूँ।

किसी के लिए मिसाल नहीं,
बस अपनी नज़रों मे बेमिसाल
बनना चाहती हूँ।

अपनी अम्मी के हर मर्ज़ को,
अपने नाम कर्ज़ करना चाहती हूँ।

किसी प्रेम कहानी का किरदार,
किसी की फिरदौस बनना चाहती हूँ।

मैं किसी गुलदस्ते का गुलाब नहीं,
पत्ती पर पड़ी ओस बनना चाहती हूँ।

ज़्यादा नही बस,
अपनी चाहतो को साकार करना चाहती हूँ।

रूह की आवाज़ में एक चाहत है,
मैं ये चाहत सुनना चाहती हूं ।।

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